Monday 20 April 2020

ONLINE MEETINGS ETIQUETTE ( ऑनलाइन मीटिंग्स के सलीके )



 
करोना काल और भविष्य की आवश्यकताओं के आधार पर हमारी हर प्रकार की मीटिंग्स अब काफी समय तक ऑनलाइन अर्थात बिना भीड़ भाड़ के ही होगी। इसका  सीधा प्रभाव रहेगा बीमा क्षेत्र, डाइरैक्ट सेल्लिंग, प्राइवेट वित्तीय संस्थानों, ऑर्गनाइज़ रियल स्टेट और उन सभी व्यवसायों पर जिसमे संस्था को जनसमूह को संबोधित करना होता है। कभी प्रशिक्षण हेतु कभी व्यापार मॉडल का व्याख्यान या फिर अपने सफल सहयोगियों को सम्मानित करने हेतु किए जाने वाले भव्य  सम्मान समारोह हों इन सभी का स्वरूप बदलने वाला है। मोटिवेशनल वक्ताओ के सेमीनार्स और कोचिंग कक्षाएं भी सीधे प्रभावित होंगे। इन परिस्थियों में अपने व्यवसाय को नए तरीके से स्थापित करना होगा। आज इसका विकल्प सिर्फ और सिर्फ ऑनलाइन मीटिंग्स ही देखा जा रहा है। अधिकतर संस्थानों ने इसे अपनाना भी प्रारम्भ कर दिया है। बहुत से लोगों ने इसे अपना भी लिया है और लगातार अपनाना भी प्रारम्भ भी कर दिया है। ऐसे में लोगों को भी ऑनलाइन मीटिंग्स में शामिल होने के तौर तरीके भी सीखने होंगे। ऑनलाइन मीटिंग्स में शामिल होने के लिए निम्न बिन्दुओं को ध्यान रखना जरूरी है -
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  •           मीटिंग्स में संजीदा होकर शामिल हों
  •        मीटिंग के विषय की तैयारी पहले से ही रक्खे, मीटिंग में अपने फोन/लैपटाप के माइक्रो फोन को ऑफ रखें , यदि कुछ बोलना है तो पहले हैंड रेज़ विकल्प का प्रयोग करके अनुमति मिलने पर ही अपनी बात रक्खें
  •         मीटिंग में समय पर सम्मिलित हों
  •         अपने उपकरण जैसे, लैपटॉप या मोबाइल को पहले से चार्ज करके रखें
  •         हैड फोन या ईयर फोन की लीड लगा कर मीटिंग शामिल हों
  •         मीटिंग के लिए घर के सबसे शांत स्थान का चयन करें कैमरे के बैक्ग्राउण्ड का भी ध्यान रखें 
  •         परिवार के अन्य सदस्यों को भी अपने मीटिंग के विषय में संजीदा होकर अवगत करा दें तथा उन्हें मीटिंग के बीच में व्यवधान न करने को बता दें
  •         अपने इंटरनेट कनैक्शन का ध्यान रक्खें
  •         अपनी बारी आने पर ही अपना पक्ष रक्खें
  •         अनुशासन का पालन करें
  •         लैपटाप या मोबाइल के बैक्ग्राउण्ड में चलने वाली अन्य वेबसाइट या एप्स को बंद कर दें।
  •        अपने ड्रेस कोड का भी ध्यान रक्खें
  •         मीटिंग की सूचनाओं को एकत्र करने हेतु डायरी पेन ले कर बैठें
  •         अपने सीनियर का यथोचित सम्मान करें
  •         यदि आप मीटिंग के होस्ट हैं तो स्टार्ट करने से पूर्व मीटिंग का अजेंडा तैयार कर लें। यदि संभव हो तो किसी सक्षम सहयोगी को सभा संचालित करने हेतु नियुक्त करें
  •         समय से ही मीटिंग प्रारम्भ और समाप्त करें
  •         यथा संभव सभी को अपनी बात कहने का अवसर दें।
  •         मीटिंग को क्लोज़ करते समय अजेंडा और सभी सुझावों को दोहरा कर अभिवादन के साथ समाप्त करें। 


Mahendra Srivastastava

Monday 6 April 2020

संघर्ष और समर्पण का फल

ये पोस्ट सिर्फ बच्चों और युवाओं के लिए हैं! छात्र जीवन में आपके द्वारा की गई मेहनत  से कैसे आपका पूरा जीवन बदल जाता हैं!  श्री आनंद  कुमार (super 30) ने यह कहानी सांझा की, आपसे शेयर कर रहा हूँ! कृपया  पूरी पढ़े  !!

   यह कहानी वाराणसी से निधि झा नाम की लड़की की है। एक निर्धन ब्राह्मण परिवार की जुझारू बच्ची। दादा साइकिल पर नमकीन बेचते थे । पिता ऑटो रिक्शा चलाते। चाचा ड्राइवरी करते। इन सबसे 15-18 घंटे की मेहनत के बावजूद बस 12 सदस्यों के परिवार का भरण-पोषण ही हो पाता। रहने तक की जगह नहीं थी। ब्राह्मण होने के नाते एक मंदिर प्रांगण में जगह मिल गई। घर के सब बड़े चाहते थे कि बच्चे पढ़-लिखकर सम्मानजनक काम करें। निधि चार बहनों में से एक है। एक भाई है। पिता सुनील झा की आंखों में बस यही सपना रहा कि बच्चे उनकी तरह अंतहीन संघर्षों से दूर एक सुखद संसार का हिस्सा बनें। यह पढ़ाई से ही संभव था, मगर पढ़ाई संभव नहीं थी।
पहली बार में मिली विफलता
    वह सनातन धर्म इंटर कॉलेज में दाखिल हुई। पुरानी किताबों से पढ़ी। दसवीं पास की तो लगा कि आसमान छू लिया। मंदिर में आने वाले लोग अपनी संतानों के लिए डॉक्टर-इंजीनियर बनने की मन्नत मांगते। निधि ने देखा तो यही सपना उसकी आंखों में बस गया। बिना किसी ट्यूशन और कोचिंग के, सिर्फ पुरानी किताबों की दम पर अकेले निधि घंटों पढ़ती। आईआईटी की प्रवेश परीक्षा का आवेदन भरा। तैयारी की। मगर कामयाब नहीं हुई। खूब रोई। मजबूरी में सरकारी कॉलेज में बीएससी के लिए आगे बढ़ी। दिल टूटा हुआ था। कुछ भी निश्चित नहीं था। कहीं अखबार से सुपर 30 के प्रोग्राम का पता चला तो एक दिन मेरे सामने खड़ी हुई। वह हमारी टीम और मेरे परिवार का हिस्सा बन गई। मेरी मां को दादी कहती। 14-16 घंटे पढ़ाई में खपी रहती। मां कहती, थोड़ा आराम कर ले। टीवी देख ले। वह कहती, नहीं दादी। इन दोनों कामों के लिए जिंदगी पड़ी है। मगर पढ़ाई सिर्फ अभी ही हो सकती है।
संघर्ष की कहानी पर बनी फिल्म
उन्हीं दिनों फ्रांस के फिल्म मेकर पास्कल प्लिसन पटना आए। सुपर 30 के बच्चों से मिले। उन्हें एक ऐसी कहानी पर फिल्म बनानी थी, जिसमें अथक संघर्ष हो। समर्पण हो। उन्हें निधि के किरदार में यह नजर आया। रिक्शा चलाते पसीने में नहाए पिता, साइिकल पर नमकीन बेचते दादा और ड्राइवर की नौकरी करते चाचा का चेहरा हर समय उसके जेहन में रहता। 20 दिन तक फिल्म की शूटिंग चली। निधि ने आईआईटी की परीक्षा दी। जिस दिन निधि का रिजल्ट आया, उसका परिवार हमारे यहां जुटा था। सबकी नजरें निधि के परिणाम पर थी। वह कामयाब हुई थी। सुनील झा के परिवार के हर सदस्य के चेहरे पर इतनी खुशियां इसके पहले किसी मौके पर नहीं आई थीं। अब आगे की पढ़ाई के लिए पास्कल ने खर्चे की जिम्मेदारी ली थी। निधि का दाखिला इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ माइनिंग धनबाद में हुआ। निधि पर बनी फिल्म का प्रीमियर 2015 में फ्रांस में हुआ। तब निधि और उसके परिवार के साथ-साथ मैं अपने छोटे भाई प्रणव के साथ बतौर खास मेहमान पेरिस में आमंत्रित था। आज निधि एक बहुत ही बड़ी कंपनी में बतौर इंजीनियर काम कर रही है |
मैं यहाँ निधि की दो तस्वीर भी पोस्ट कर रहा हूँ | एक तस्वीर सघर्ष के दिनों की है, और दूसरी तस्वीर इंजीनियर बनने के बाद की है!! पैसा और पद इंसान की पूरी  personality बदल देता है!!
यह है हमारे संस्कार धन्य हैं यह बच्ची ,धन्य हैं इसके गुरु ( आनन्द कुमार सुपर 30 ) । मेरी आँखों में आँसू की शुरुआत हो गई हैं इस कहानी को लिख कर। मै एक निवेदन करना चाहता हूँ। अपने सनातनी भाइयों से बंद करो उच्च ,नीच का खेल । हम सब पहले सनातनी हैं यही हमारी पहचान है , यही मेरा धर्म हैं ।  Copied 

Wednesday 1 April 2020

DREAMS/TARGET ALLOCATION ( लक्ष्य निर्धारण )

 जो लक्ष्य सर्वसुलभ अर्थात आसानी से प्राप्त किया जा सके वह लक्ष्य नहीं होता है , लक्ष्य का अर्थ है कि एक अतिरिक्त प्रयास से उस गन्तव्य पर को प्राप्त करना जोकि अभी हमसे दूर है। जब हम ऐसा प्रयास करते हैं और लक्ष्य प्राप्त करते है तो एक सच्चे विजेता सी भावनाएं जागती हैं, साथ ही साथ हमारी टीम भी हमारे साथ होने में गौरान्वित महसूस करती है, और आपमें अपना हीरो देखने लगती है , आपका अनुकरण कर आप जैसा बनने का प्रयास करती है।  इस प्रकार जब आपकी टीम में लोग आप जैसे बनने लग जाते हैं, आपकी तरह ही कार्य परिणाम देने लगते है और हम अगले स्तर  के लक्ष्य कि ओर बढ़ सकते हैं।
 लक्ष्य निर्धारण से समझने से पूर्व लक्ष्य क्या है, यह सुनिश्चित करना आवश्यक है।  
लक्ष्य निर्धारण हम कई बार करते हैं, और उनका जम कर प्रचार भी करते हैं, किन्तु जैसे ही कुछ समय बीतता है , हम पुनः एक नया लक्ष्य और नया कार्यक्रम टीम के समक्ष रख देते हैं, इस कृत्य से, हमारा लीडरशिप और टीम के समक्ष प्रभुत्व क्षीण होने लगता है, अतः लक्ष्य निर्धारण बेहद संतुलन और समझदारी के साथ करें। लक्ष्य का निर्धारण करने से पूर्व निम्न बिंदुवों पर एक अभ्यास कर लें –
      ·        लक्ष्य वास्तविक है या नहीं?
·        लक्ष्य का उद्धेश्य क्या है? 
·        लक्ष्य पर आपको खुद विश्वास है या नहीं ?
·        लक्ष्य के समरूप खुद में और टीम में क्षमता है या नहीं?
·        लक्ष्य को प्राप्त करने में लगने वाला समय का मूल्य लक्ष्य के समानुपात में है या नहीं ?
·        लक्ष्य को प्राप्त करने की क्या प्रभावी योजना हो सकती है?
·        प्रथम योजना के साथ बैक-अप योजना क्या है?
·       योजना हेतु संसाधन क्या क्या आवश्यक हैं, और वह उपलब्ध है या नहीं उपरोक्त बिंदुवों      को एक बार विचार में रख कर योजना बनाएँ और तदोपरांत लक्ष्य के लिए प्रयास प्रारम्भ      करना चाहिए।
·     लक्ष्य के लिए समर्पण की भावना होनी चाहिए और आपके समर्पण के साथ टीम का          समर्पण भी आवश्यक है।
·      लक्ष्य केवल व्यग्तिगत लाभ हेतु नहीं निर्धारित होना चाहिए। 

Mahendra Srivastastava