Tuesday 15 December 2015

नमस्कार मित्रों,
ठीक  दो दिन पूर्व अनायास ही एक  सज्जन से मुलाकात हो गयी।  नाम नहीं बता सकता।  तकरीबन 2 घंटे उनकी बातें सुनता रहा ।  आंकलन करता रहा उनकी यथास्थिति को । उनके जाने  के बाद जिनके द्वारा मुलाक़ात हुई  उनसे कुछ प्रश्न पूछे , मेरा अनुमान लगभग सही निकला  उनके बारे में। उल्लेखनीय  क्या है इसमें !! आखिर क्यों मैं लिख रहा हूँ इस घटना के बारे में ?? वास्तव में इन सज्जन के साथ जो हो चुका है पिछले 20 सालों में , उससे काफी बड़ी सीख मिलती है , और शायद आपके या आपके किसी करीबी के काम आ सके, जो सिर्फ और सिर्फ समय बीत जाने के बाद ही आ सकती है।
  एक बड़े अधिकारी पिता के इकलौते पुत्र हैं यह सज्जन (विजय – काल्पनिक नाम ), किसी प्रकार से शान मे कोई कमी नहीं,40 साल पूर्व भी घर में दो दो कारें नौकर-चाकर और 1989 मे ही पिता जी  ने विजय को प्रबंधन की  डिग्री कम्प्युटर का MS – DOS  कोर्स आदि करवाया, पिता  के समान पुत्र भी  बेहद संजीदा  और रसूखदार। ईमानदारी तो इतनी ज्यादा की जिसका जवाब नहीं, जो कार्य दिया जाता  उसे ईमानदारी से निभाते।
विजय ने अपना कैरियर प्रारम्भ किया एक पेंट इंडस्ट्री से, एक अच्छे पद पर आसीन थे , चार साल तक कई प्रमोशन और उन्नति पायी । अचानक एक दिन पेंट कंपनी मालिक की किसी मामूली बात पर बहस का परिणाम हुआ कि विजय जी ने जॉब से रिजाईन कर दिया ।  कोई दिक्कत न हुई एक हफ़्ते में ही दूसरी जगह सम्मान से स्थापित हो गए बस अपना शहर नहीं मिला ।  और अपनी ट्रेड से भी सम्झौता करना पड़ा ।  समय फिर से निकलने लगा। वैसे ही तेवर और सम्मान बरकरार। समय तेजी से निकला इसी बीच पिता जी बीमार हुए, 8-10 दिन के लिए जॉब छोड़ कर वापस आना पड़ा, काफी धन लग गया फिर भी उन्हे बचा भी न सके। वापस जाने पर पता चला लोगो को उनसे सहानुभूति तो है पर उनके स्थान पर किसी और को नियुक्त कर दिया गया जो की युवा और कम वेतन पर है और उनसे अच्छा कार्य भी कर रहा था । अब विजय जी मजबूर थे , सामाजिक शान ओ शौकत से समझौता कर नहीं सकते बिना जमा-जथा जैसे तैसे दो बच्चों की पढ़ाई और भरण पोषण । व्यक्तित्व के विपरीत रियल स्टेट मे जॉब पकडनी पड़ी ।  ईमानदारी आलम यह कि अब भी बरकरार था
, शान ओ शौकत से रहना सामाजिक दायित्व की तरह निभाना मजबूरी और जरूरी दोनों हो गया था । रियल इस्टेट की फील्ड के हिसाब से खुद ढालना विजय जी की शान के खिलाफ लिहाजा लगातार जॉब बदली , नतीजा ग्राफ लगातार गिरने लगा सेल निकालना दिक्कत भरा और दबाव में कार्य क्षमता लगातार गिरने लगी। लिहाजा जॉब छोड़ कर परिवार सहित जनाब वापस अपने शहर मे है ।  नयी जॉब कि तलाश और आज हालत यह पहुँच गए हैं कि, किसी शोरूम मे भी जॉब मिल जाय,  ताकि भरण पोषण हो सके ।
इस एक सच्ची घटना से मैंने कुछ निष्कर्ष निकाले –
v  हद से ज्यादा ईमानदार होना भी कई बार समस्या होता है । आप अपनी जॉब मे ईमानदार है पर अपने परिवार और अपने जीवन के प्रति ???
v  झूठी शान के नकारात्मक प्रभाव
v  अपनी क्षमताओं पर विश्वास करने कि जगह नौकरी पर आश्रित रहना
v  समय के अनुसार खुद को न अपडेट करना

विजय जी आज शायद अपना खोया आत्मविश्वास वापस पा लें , हम कामना भी करते हैं, धन भी किसी न किसी तरह अर्जित कर लें ,लेकिन समय की नहीं।
आशा है आप भी इस लेख से सीख लेकर खुद को सुरक्षित और संभाल  लेंगे । क्योंकि सब चीजों कि भरपाई हो जाएगी पर समय कि भरपाई नहीं हो सकती है ।

Wednesday 11 November 2015

"TEAM - THE CASH BOX "

DAILY DIARY :-

       टीम आधारित व्यवसाय पूर्णतया संयम आधारित होता है । संयम के लिए अनुसाशन अत्यंत आवश्यक है । यदि आप चाहते है कि  आपकी टीम स्वयं अनुशासन  हो तो इसके लिए उदाहरण स्वरूप आपको खुद आगे आना होगा और अनुशासन में  रहना होगा ।  अनुसाशन के लिए हमेशा अपने आप को समय के अनुसार ढालना ही आसान और एकमात्र विकल्प है। क्योंकि सर्वविदित है कि समय को कभी भी नियंत्रित नहीं किया जा सकता है ,स्वयं को ही समय के अनुसार नियंत्रित करके समय का बेहतर उपयोग किया जा सकता है। समय सबके लिए ही निश्चित और निर्धारित है, उसी का व्यवस्थित रूप मे उपयोग करके हम समय का सम्पूर्ण दोहन कर सकते है । प्रारम्भ में  समय के अनुसार चलने के लिए प्राथमिक स्तर  पर लौटना पड़ेगा । अर्थात समय के अनुसार अपने को ढालने के लिए दैनिक डायरी बनानी होगी। प्रतिदिन सवेरे और रात्री मे डायरी के अनुसार कार्य करने का अभ्यास डालना होगा । धीरे धीरे आप इसके अभ्यस्त होने लगेंगे। और इसकी अहमियत भी आपकी दिनचर्या में बढ़ जाएगी । कुछ समय पश्चात आप बिना डायरी के भी व्यवस्थित कार्य करने मे समर्थ होंगे । 

Tuesday 10 November 2015

Dear Friends,
   Wish you a very happy festive season.
    May Goddess Laxmi Bless You, Your Family & Friends
    All The Best 

Monday 31 August 2015

अपनी कमजोरी और ताकत को जाने KNOW YOUR WEAKNESS & STRENGTH


 खुद को समझ लिया तो जग को समझ लिया,
 खुद को जीत लिया समझो सारा जग जीत लिया

इस दुनियाँ मे हर एक व्यक्ति समान क्षमताओं का हो यह संभव नहीं है
I हर एक का व्यक्तित्व भिन्न भिन्न होता हैI एक टीम लीडर के लिए जरूरी है कि वो कमजोरी और ताकत दोनों पक्षों को समझे, जानें और महसूस भी करे I तभी वह मजबूत पक्ष और कमजोरी दोनों का आकलन करने में सक्षम होगा I एक बड़े अभियान का यह एक जरूरी हिस्सा है कि, नायक स्वयं और दूसरों की कमजोरी और मजबूती को समझ कर ही अपनी टीम की कार्यशैली और योजना बना सकता हैI
आखिर कैसे कमजोर और मजबूत पक्ष को हम ढूंढ सकते हैं
?
 यहाँ खोजने के लिए दो पक्ष है :-
प्रथम पक्ष(स्वयं)- खुद की कमजोरियों का चुनाव करें और मजबूत पक्ष चिन्हित करें
    यदि आप निरंतर प्रगति चाहते हैं
, तो यह आवश्यक है कि स्वयं मे बदलाव करने ही होंगे, बिना स्वयं को बदले आप किसी और को बदलने की  न तो नसीहत दे सकते हैं ना ही बदलने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।
 स्वयं को बदलने के लिए स्वयं का आकलन जरूरी है, यह आकलन कैसे किया जा सकता है, इसके लिए निम्न चरणों का अनुसरण करें –
1.   एक कॉपी या डायरी लें
2.   अपने व्यक्तित्व के बारे में लिखें
3.   कमजोर और मजबूत पक्ष अलग अलग लिखें
4.   दूसरों से अपने बारे मे पूछें  (FEEDBACK), ध्यान रहे फीडबैक के लिए अलग अलग श्रेणी और सोच के लोगों से मिलें
5.   कमजोर  पक्षों पर रणनीति बनाकर सुधार करें, यदि उनमें सुधार की संभावना नहीं है तो उनको छुपाने का प्रयत्न करें, किन्तु इस कमी के कारण अपने आत्मविश्वास को कम न होनें दें। थोड़े से अभ्यास से आप अपनी कमजोरी को भी मजबूती की तरह प्रस्तुत कर सकते हैं। 
एक वाक़या – एक बार एक सेमिनार मे बहुत से सफल लोग स्टेज पर थे
, उन्हीं में से एक महान लीडर जिनका रंग काफी काला था, वो भी शिरकत कर रहे थे, सबको बारी बारी से बोलना था , जैसे ही इन शक्स की बारी आई, कुछ स्मार्ट और गोरे चिट्टे लोग थोड़ा सा हँस दिये, यह बात इन लीडर साहब ने भाप ली , स्टेज पर पहुंचते ही अभिवादन और परिचय देने के बाद बोला – “यहाँ स्टेज पर बहुत सारे स्मार्ट और गोरे लोग हैं, मेरा व्यवसाय इनसे हमेशा ज्यादा होता है, इसमे इनकी गलती नहीं है , बल्कि ईश्वर ने इनके साथ अन्याय किया है, इन्हे गोरा और स्मार्ट बना दिया, यह लोग रोज अपनी स्मार्टनेस पर थोड़ा ज्यादा ही टाइम खर्च करना इनकी मजबूरी है,जैसे बिना स्नान के यह घर से निकल नहीं सकते, बिना मैंचिंग के कपड़े नहीं पहन सकते, और मुझ पर ईश्वर ने कृपा करके ऐसा रुंग दिया है किया मुझे न ज्यादा सोचना पड़ता है और न ही ज्यादा समय देना होता है, नहाने के बाद और बिना नहाय चमड़ी पर कोई फर्क नहीं पड़ता”।
    उनके इस वक्तव्य से उनकी सकारात्मक विचार ने उनकी एक प्राकृतिक कमजोरी को सकारात्मक ढंग से न केवल छुपा दिया वरन विरोधियों को भी लाजवाब कर दिया।
6.   बहुधा हर किसी का मजबूत पक्ष उसे पता भी होता है, फिर भी लोग उस पर ज्यादा ध्यान नहीं देते है या अनजाने में अनदेखा करते हैं,जबकि  मजबूत पक्ष को निखारने के लिए निरंतर अभ्यास अत्यंत आवश्यक है।
7.   अपने मजबूत पक्ष को जानने के लिए एक संक्षिप्त सर्वे तैयार कीजिये और पुनः कैश बॉक्स यानि टीम से फीडबैक लीजिए।
8.   संस्था के योग्य अधिकारियों  और अपनी टीम के अनुभवी सदस्यों से फीडबैक के लिए संजीदा होकर बात करें।
ध्यान दें
, एक बार फीडबैक लेने के बाद अपनी कमजोरियों और सशक्त पक्ष को जानने के पश्चात यथा अनुसार सुधार करके पुनः फीडबैक लें , यह प्रक्रिया निरंतर चलनी चाहिए क्योंकि सुधार और व्यक्तित्व विकास की कोई सीमा नहीं होती है।एक कहावत के अनुसार  –
“THE BIGGEST ROOM IN THE WORLD IS ROOM OF IMPROVEMENT
 इस निरंतर प्रक्रिया से व्यक्तित्व,ज्ञान और करियर में निखार स्वयं को और आपके सहयोगियों और संस्था, सभी को दिखेगा और आप निरंतर प्रगति के पथ पर परिष्कृत और परिमार्जन के साथ गतिशील रहेंगे ।
दूसरा  पक्ष (टीम)  :-
आपका कैश बॉक्स यानि टीम का भी आकलन  करें, पूरी टीम के साथ बैठक निरंतर करें और उसमें चयन करें, लगातार इस प्रक्रिया को दोहराएँ और फिर देखें, आपको अपनी ही टीम मे कई ऐसे लोग और प्रतिभाएं नज़र आयेंगी। जब आप नज़र डालें तो पाएंगे की बहुत से  कार्य जो कि आप  अकेले कर रहे थे, उसमें साथ और हाथ बटाने के लिए काफी लोग नज़र आएंगे। आप देखेंगे और पायेंगे कि –
·         कोई बेहतर ढंग से मीटिंग के पूर्व स्टेज सजाने मे माहिर मिलेगा
·         कोई न कोई नैसर्गिक मंच व मीटिंग संचालक होगा
·         किसी में लोगो को बुलाने की क्षमता होगी
·         तो कोई टीम के रिकार्ड्स बेहतर ढंग से एकत्र कर सकता है
·         हो सकता है की किसी वरिष्ठ सदस्य की  सिर्फ उपस्थिति से ही टीम उत्साहित होती हो
·         कोई आपके प्रेजेंटशंस की बेहतर डिजायनिंग कर सकता होगा
·         तो कोई ऐसा भी होगा जिसके संपर्क टीम के विस्तार के लिए अहम होंगे
   इस प्रकार प्रत्येक मे कोई न कोई गुण अवश्य होगा
,सिर्फ जरूरत है की उन्हें ढूंढ कर निकालिए और निखारिये। यह आपको और आपके कैश बॉक्स को बेहतर विस्तार देगा अर्थात लाभ द्विगुणित हो जाएगा

सर्वप्रथम, इनकी एक लिस्ट तैयार करें। और क्रमवार आने वाली सभाओं में एक लय बद्ध कार्यक्रम होने लगेंगे। यही प्रक्रिया अन्य फ्रंट पर भी लागू करें।  इस प्रकार स्वयं और टीम कि मजबूती और कमजोरी दोनों को समझ कर सही प्रकार से प्रयोग करने पर परिणाम लाभप्रद होंगे। 

Wednesday 18 February 2015

MULTILEVEL MARKETING – A BRIEF INTRODUCTION


    
  “Network Marketing is a tremendous contribution to the overall prosperity of the economy”.
               TONY BLAIR
“The best investment, I ever made is Multilevel Marketing”.
               WARREN BUFFET   
                                                   
“Network Marketing gives people the opportunity, with very low risk and very low financial  commitment to build their own income generating asset and acquire  great wealth”.
       ROBET T. KIYOSAKI
  Above quotes of leading and success full personalities is enough to explain importance of this beautiful, blooming and sun rising   industry. This is important for us to know about the history to current scenario of Multilevel Marketing (MLM).
HISTORY:-
   The first MLM organization worldwide is AVON, started in year 1886, by Mr. DAVID H. McConnell. AVON offered cosmetic products for ladies, now presence of AVON is almost worldwide with a parallel grace of leading brands of industry. The journey, which was start almost 125 years earlier, is now a known
INDUSTRY worldwide.
     The credit of first MLM in INDIA is goes to ‘MODICARE’, which was started by famous MODI group of companies in 1996. Since that time this industry is blooming in every part of country. India where language and weather change after each 100 miles, MLM gives lot of smiles to the dense population of India. From Metro to township, North to South and East to West, everywhere we will find achievers and full timers are enjoying this business pleasantly.
DEFINITION:- 
   “The sheer technacity  to promote products/services or concept of an entrepreneur through a consumer to its circle of influence as last basin is “Multilevel Marketing/Direct Marketing/ referral marketing or Network distribution system”. 
        The industry allows equal opportunity to every consumer. The business is also known as ‘HELP BUSINESS’. A person, who joins this business for products, services or concept receive guidance of his line of sponsorship, to grow his business. 
CURRENT SCENARIO:-
 
The development is always an continuous process of every sector. Therefore, this MLM industry is also passed through different ages. The industry totally depends on masses and high calculations, therefore parallel to IT & Software industry MLM also passed through different ages and phases.  As well as muticalulations through super Computer become easy , we got anonymous pattern in field of MLM.

   The some phases of MLM in India as bellow

S.No
Pattern
Year
Leading companies
1.
UNILEVEL
1996
Modicare,Amway,Oriflame
2.
AUSTRALIAN BINARY
2001
Free India Concept , Altos India etc
3.
AMERICAN BINARY
2001-2002
SKYBIZ, MAHAMAJA, E-BIZ
4.
PAIR BINARY
2003
TRUST INDIA CONCEPTS etc
5.
POOL INCOME OR GROWTH
2004
KANAKDHARA , AKASH GANGA etc
6.
BOARD PLAN
2008
SEVEN RINGS , TVI EXPRESS

7.
SURVEY & ADVERTISEMENT BASE PLANS
2010
SPEAK ASIA


 SOME MYTHS: -
1. Criteria to Select Best MLM organization.
    The best MLM for any person is that, whose products/services or concept easily acceptable in circle of influence of individuals that is different person to person. If any organization of  MLM  has n number of achievers that is not guaranty of success for every one . 
2. I do not Have Big circle
 If some one follow basics of MLM, only 5-10 direct sponsoring required to achieve highest level of earnings. MLM is business of duplication not multi sponsoring.
3. I Cannot Sell Anything
  
MLM is only consumption and promotion base programme.  No selling required, only promotion. Use yr own purchased products and promote them , if any one want to buy, help him to purchase directly from Organization.
4. Success Rate is Very Low
 
Although in every field, always success rate is very low. As compare to others, in field of MLM, no requirement of higher education, big money or relevant office. Only burning desire to succeed, basic knowledge can give big success.

      The wonders of this industry are now everywhere in India and abroad.  Where, a housewife is now earning now more than his executive class husband, a college boy is more successful than his professor and a special person enjoyed so many foreign trips than a normal.
   Therefore, the subject of this beautiful, wonderful industry can not be explained under one chapter.
  All The Best
Happy Networking
Mahendra Srivastava
 Lucknow – 226005
 mpsri23@gmail.com