Tuesday 11 February 2020

धनवान का सत्य

एक सेठ जी थे, जो दिन-रात अपना काम-धँधा बढ़ाने में लगे रहते थे। उन्हें तो बस, शहर का सबसे अमीर आदमी बनना था। धीरे-धीरे पर आखिर वे नगर के सबसे धनी सेठ बन ही गए। 

इस सफलता की ख़ुशी में उन्होने एक शानदार घर बनवाया। गृह प्रवेश के दिन, उन्होने एक बहुत शानदार पार्टी का आयोजन किया। जब सारे मेहमान चले गए तो वे भी अपने कमरे में सोने के लिए चले आए। थकान से चूर, जैसे ही बिस्तर पर लेटे, एक आवाज़ उन्हें सुनायी पड़ी...

"मैं तुम्हारी आत्मा हूँ, और अब मैं तुम्हारा शरीर छोड़ कर जा रही हूँ !!"

सेठ घबरा कर बोले, "अरे! तुम ऐसा नहीं कर सकती!!, तुम्हारे बिना तो मैं मर ही जाऊँगा। देखो!, मैंने वर्षों के तनतोड़-परिश्रम के बाद यह सफलता अर्जित की है। अब जाकर इस सफलता को आमोद प्रमोद से भोगने का अवसर आया है। सौ वर्ष तक टिके, ऐसा मजबूत मकान मैने बनाया है। यह करोड़ों रूपये का, सुख सुविधा से भरपूर घर, मैंने तुम्हारे लिए ही तो बनाया है!, तुम यहाँ से मत जाओ।"     

आत्मा बोली, "यह मेरा घर नहीं है, मेरा घर तो तुम्हारा शरीर था, स्वास्थ्य ही उसकी मजबूती थी, किन्तु करोड़ों कमाने के चक्कर में, तुमने इसके रख-रखाव की अवहेलना की है। मौज-शौक के कबाड़ तो भरता रहा, पर मजबूत बनाने पर किंचित भी ध्यान नहीं दिया। तुम्हारी गैर जिम्मेदारी ने इस अमूल्य तन का नाश ही कर डाला है।" 

आत्मा नें स्पष्ट करते हुए कहा, "अब इसे ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, थायरॉइड, मोटापा, कमर दर्द जैसी बीमारियों ने घेर लिया है। तुम ठीक से चल नहीं पाते, रात को तुम्हे नींद नहीं आती, तुम्हारा दिल भी कमजोर हो चुका है। तनाव के कारण, ना जाने और कितनी बीमारियों का घर बन चुका है, ये तुम्हारा शरीर!!" 

"अब तुम ही बताओ, क्या तुम किसी ऐसे जर्जरित घर में रहना चाहोगे, जिसके चारो ओर कमजोर व असुरक्षित दीवारें हो, जिसका ढाँचा चरमरा गया हो, फर्नीचर को दीमक खा रही हो, प्लास्टर और रंग-रोगन उड़ चुका हो, ढंग से सफाई तक न होती हो, यहाँ वहाँ गंदगी पड़ी रहती हो। जिसकी छत टपक रही हो, जिसके खिड़की दरवाजे टूटे हों!! क्या रहना चाहोगे ऐसे घर में? नहीं रहना चाहोगे ना!! ...इसलिए मैं भी ऐसे आवास में नहीं रह सकती।"

सेठ पश्चाताप मिश्रित भय से काँप उठे!! अब तो आत्मा को रोकने का, न तो सामर्थ्य और न ही साहस सेठ में बचा था। एक गहरी निश्वास छोड़ते हुए आत्मा, सेठ जी के शरीर से निकल पड़ी... सेठ का पार्थिव बंगला पडा रहा।

मित्रों, ये कहानी आज अधिकांश लोगों की हकीकत है। सफलता अवश्य हासिल कीजिए, किन्तु स्वास्थ्य की बलि देकर नहीं। अन्यथा सेठ की तरह मंजिल पा लेने के बाद भी, अपनी सफलता का लुत्फ उठाने से वंचित रह जाएँगे!!

             "पहला सुख निरोगी काया 🙏🙏🙏  - MS💐💐💐💐

Wednesday 5 February 2020

अलंकृत करो जीवन धन ,

अलंकृत करो जीवन धन ,
लक्ष्य यही लो ठान ।
सृजन में ही समृद्धि है
,
बस बस मान लो यह ज्ञान ॥
   जीवन धन से बड़ा धन कुछ भी नहीं है।
  अर्थात - जीवन धन, वह लोग है जो हमारे आस पास है, यह हमारे कर्मचारी, हमारी टीम के साथी, सह कर्मचारी, हमारे सीनियर, हमारे मालिक, हमारे संगी साथी , हमारे पड़ोसी, भाई-बहन,माता- पिता,  कोई भी, जिनसे हम प्रभावित है और जो हमसे प्रभावित हैं, आदि  सभी हमारे जीवन धन हैं। हमें सदैव इनकी समृद्धि अर्थात सर्वांगीण विकास हेतु प्रयास करना चाहिए।
  अधिकतर जो लोग हमारे आस पास होते है,उनके लिए हमारा नज़रिया कैसे काम करता है ? प्रारम्भ में हमको उनके सारे गुण सगुण नज़र आते है , हम उनकी अच्छाईयों के कायल होते हैं, जैसे  जैसे हम इनके  अधिक करीब जाते हैं और समय बीतता है, गुणो को भूल कर अवगुण पर फोकस बढ़ता जाता है  और यही हमारे जीवन में विषाद विद्वेष  का  विषय  हो जाता है, अपेक्षित परिणाम जो हमें मिल सकते थे उससे वंचित हो जाते हैं, उपरोक्त लाइनों के अनुसार हमे इनके विकास हेतु कार्य करना चाहिए, इन सभी के सृजन में ही हमारी समृद्धि का खज़ाना छुपा है , हमें इसी जीवन धन का सृजन करना है।
https://www.youtube.com/watch?v=Me8Jafi5WZw&list=PLAJXTA-x-llI_R0WzfN6psuKHLHUSwsfd&index=2&t=0s

Sunday 2 February 2020

2020 MOTIVATION - ANMOL JINDAGI

Please watch my new video "ANMOL JINDAGI".

"ANMOL JINDAGI" title justify life with this two liner.
These motivational lines can do miracle and motivate a person to perform passionately .
It's universal fact a motivated person perform much better than ordinary. "शह मात का खेल जिंदगी, दिन रात का उजाला अंधेरा भी, जी लो शोखियाँ मस्तियाँ और बंदगी, हर पल हर घड़ी अनमोल है जिंदगी"
 https://youtu.be/DxPeZQ6Q-MU