जो लक्ष्य सर्वसुलभ अर्थात आसानी से प्राप्त किया जा सके वह लक्ष्य नहीं होता
है ,
लक्ष्य का अर्थ है कि एक अतिरिक्त प्रयास से उस गन्तव्य पर को प्राप्त करना जोकि
अभी हमसे दूर है। जब हम ऐसा प्रयास करते हैं और लक्ष्य प्राप्त करते है तो एक
सच्चे विजेता सी भावनाएं जागती हैं, साथ ही साथ हमारी टीम भी हमारे साथ होने में गौरान्वित
महसूस करती है, और आपमें अपना हीरो देखने लगती है , आपका अनुकरण कर आप
जैसा बनने का प्रयास करती है। इस प्रकार
जब आपकी टीम में लोग आप जैसे बनने लग जाते हैं, आपकी तरह ही कार्य
परिणाम देने लगते है और हम अगले स्तर के
लक्ष्य कि ओर बढ़ सकते हैं।
लक्ष्य निर्धारण से समझने से पूर्व लक्ष्य क्या है, यह सुनिश्चित करना
आवश्यक है।
लक्ष्य
निर्धारण हम कई बार करते हैं, और उनका जम कर
प्रचार भी करते हैं, किन्तु जैसे ही कुछ समय बीतता है , हम पुनः एक नया लक्ष्य और नया कार्यक्रम टीम के समक्ष रख देते हैं, इस कृत्य से, हमारा लीडरशिप और टीम के समक्ष
प्रभुत्व क्षीण होने लगता है, अतः लक्ष्य निर्धारण बेहद
संतुलन और समझदारी के साथ करें। लक्ष्य का निर्धारण करने से पूर्व निम्न बिंदुवों
पर एक अभ्यास कर लें –
· लक्ष्य वास्तविक है या नहीं?
· लक्ष्य का उद्धेश्य क्या है?
· लक्ष्य पर आपको खुद विश्वास है या नहीं ?
· लक्ष्य के समरूप खुद में और टीम में क्षमता है या नहीं?
· लक्ष्य को प्राप्त करने में लगने वाला समय का मूल्य लक्ष्य के समानुपात में है या नहीं ?
· लक्ष्य को प्राप्त करने की क्या प्रभावी योजना हो सकती है?
· प्रथम योजना के साथ बैक-अप योजना क्या है?
· योजना हेतु संसाधन क्या क्या आवश्यक हैं, और वह उपलब्ध है या नहीं उपरोक्त बिंदुवों को एक बार विचार में रख कर योजना बनाएँ और तदोपरांत लक्ष्य के लिए प्रयास प्रारम्भ करना चाहिए।
· लक्ष्य के लिए समर्पण की भावना होनी चाहिए और आपके समर्पण के साथ टीम का समर्पण भी आवश्यक है।
· लक्ष्य केवल व्यग्तिगत लाभ हेतु नहीं निर्धारित होना चाहिए।
· लक्ष्य का उद्धेश्य क्या है?
· लक्ष्य पर आपको खुद विश्वास है या नहीं ?
· लक्ष्य के समरूप खुद में और टीम में क्षमता है या नहीं?
· लक्ष्य को प्राप्त करने में लगने वाला समय का मूल्य लक्ष्य के समानुपात में है या नहीं ?
· लक्ष्य को प्राप्त करने की क्या प्रभावी योजना हो सकती है?
· प्रथम योजना के साथ बैक-अप योजना क्या है?
· योजना हेतु संसाधन क्या क्या आवश्यक हैं, और वह उपलब्ध है या नहीं उपरोक्त बिंदुवों को एक बार विचार में रख कर योजना बनाएँ और तदोपरांत लक्ष्य के लिए प्रयास प्रारम्भ करना चाहिए।
· लक्ष्य के लिए समर्पण की भावना होनी चाहिए और आपके समर्पण के साथ टीम का समर्पण भी आवश्यक है।
· लक्ष्य केवल व्यग्तिगत लाभ हेतु नहीं निर्धारित होना चाहिए।
Mahendra Srivastastava
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