अलंकृत करो जीवन धन ,
लक्ष्य यही लो ठान ।
सृजन में ही समृद्धि है ,
बस बस मान लो यह ज्ञान ॥
लक्ष्य यही लो ठान ।
सृजन में ही समृद्धि है ,
बस बस मान लो यह ज्ञान ॥
जीवन धन से बड़ा धन कुछ भी नहीं है।
अर्थात - जीवन धन, वह लोग है जो हमारे आस पास है, यह हमारे कर्मचारी, हमारी टीम के साथी, सह कर्मचारी, हमारे सीनियर, हमारे मालिक, हमारे संगी साथी , हमारे पड़ोसी, भाई-बहन,माता- पिता, कोई भी, जिनसे हम प्रभावित है और जो हमसे प्रभावित हैं, आदि सभी हमारे जीवन धन हैं। हमें सदैव इनकी समृद्धि अर्थात सर्वांगीण विकास हेतु प्रयास करना चाहिए।
अधिकतर जो लोग हमारे आस पास होते है,उनके लिए हमारा नज़रिया कैसे काम करता है ? प्रारम्भ में हमको उनके सारे गुण सगुण नज़र आते है , हम उनकी अच्छाईयों के कायल होते हैं, जैसे जैसे हम इनके अधिक करीब जाते हैं और समय बीतता है, गुणो को भूल कर अवगुण पर फोकस बढ़ता जाता है और यही हमारे जीवन में विषाद विद्वेष का विषय हो जाता है, अपेक्षित परिणाम जो हमें मिल सकते थे उससे वंचित हो जाते हैं, उपरोक्त लाइनों के अनुसार हमे इनके विकास हेतु कार्य करना चाहिए, इन सभी के सृजन में ही हमारी समृद्धि का खज़ाना छुपा है , हमें इसी जीवन धन का सृजन करना है।
https://www.youtube.com/watch?v=Me8Jafi5WZw&list=PLAJXTA-x-llI_R0WzfN6psuKHLHUSwsfd&index=2&t=0s
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