Tuesday, 17 November 2020

चले चलो ....

 

 चले चलो ....



चलते रहना दरिया सा 
रुका हुआ बेमानी है 
बढ़ते चलो चले चलो 
जो ठहरा सो कहानी है 

जीवन चलते रहने का ही पर्याय है , ठहराव मृत्यु का प्रतीक है, अपनी परेशानियों, अक्षमताओं  और परिस्थियों से हार कर हमें रुकना नहीं है , झुकना नहीं है, चलते चलो बढ़े चलो , प्रत्येक असफलता से सीख लेनी है और फिर से चल पड़ना है, प्रत्येक बढ़ता कदम लक्ष्य को और करीब लाएगा, एक लक्ष्य के बाद फिर से चल पड़ना है एक नए सफर पर और नए लक्ष्य की ओर .... क्योंकि 
चलते रहना दरिया सा

रुका हुआ बेमानी है

बढ़ते चलो चले चलो

जो ठहरा सो कहानी है


https://youtu.be/klhWcWcthE8